प्रभारी कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह उड़ा रहे भारतीय संविधान की धज्जियां, नियम विरुद्ध बनाया आनंद पाटिल को प्रभारी कुलसचिव
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पिछले 6 से 7 माह में लगभग 2 से 3 बार बदले जा चुके हैं प्रशासनिक अधिकारियों के प्रभार।
बीते दिनों कुलसचिव धरवेश कठेरिया को हटाकर दूर शिक्षा के निदेशक आनंद पाटिल को कार्यकारी कुलसचिव के रूप में नियुक्त किया है. जबकि आनंद पाटिल की नियुक्ति के लंबे समय के बाद भी परिवीक्षा अवधि (प्रोबेशन पीरियड) पूरा करने के बावजूद प्रमाण पत्र नहीं प्राप्त कर सके हैं.
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वर्धा. महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह लगातार विश्वविद्यालय के एक्ट और संविधान को ताक पर रखकर काम कर रहे हैं. और भारत के संविधान का मजाक बना रहे है। बीते दिनों कुलसचिव धरवेश कठेरिया को हटाकर दूर शिक्षा के निदेशक आनंद पाटिल को कार्यकारी कुलसचिव के रूप में नियुक्त किया है. जबकि आनंद पाटिल की नियुक्ति के लंबे समय के बाद भी परिवीक्षा अवधि (प्रोबेशन पीरियड) पूरा करने के बावजूद प्रमाण पत्र नहीं प्राप्त कर सके हैं और इससे पहले शिक्षा मंत्रालय कई की नियुक्ति पर सवाल भी उठा रहा हैं. शायद इसलिए विश्वविद्यालय और मंत्रालय ने अबतक इनको प्रोबेशन पीरियड सफलतापूर्वक पूरा करने का सर्टिफिकेट जारी नहीं किया है. ऐसे में विश्वविद्यालय के कुलसचिव जैसे महत्वपूर्ण एवं संवैधानिक पद पर ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करना जो कि इस पद की योग्यता को पूरा न करता हो कहा तक उचित है। इसका जबाब शिक्षा मंत्रालय को देना चाहिए।
एक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में कुलसचिव के पद पर बैठने बाला व्यक्ति विश्वविद्यालय के संबंध में गोपनीय जानकारी आदि सब का मालिक होता है लेकिन यहाँ तो विश्वविद्यालय की गोपनीय सूचना और संबंधित तथ्य एक ऐसे व्यक्ति के पास हैं जो प्रोबेशन पीरियड को पूरा नहीं कर पाया हैं जबकि विश्वविद्यालय में कई ऐसे प्रोफेसर हैं जो कुलसचिव पद के लिए योग्य हैं. लेकिन कार्यकारी कुलपति प्रोफेसर के. के. सिंह नियमों की धज्जिया उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
प्रो. कृष्ण कुमार सिंह जबसे प्रभारी कुलपति बने हैं तब से विश्वविद्यालय में सारे जरूरी काम छोड़कर एक विशेष विचारधारा एवं अपने लोगों की लोगों की ताजपोशी करने में लगे हुए हैं. जबकि इससे पूर्व में भी एक कार्यकारी कुलपति प्रोफेसर एल. कारुण्यकरा ने भी प्रभारी कुलपति का चार्ज लेते ही तमाम तरह के प्रशासनिक पदों का फेरबदल किया था, उसके बाद शिक्षा मंत्रालय ने कुलपति के रूप में आईआईएम नागपुर के निदेशक डॉ. भीमराय मेत्री की नियुक्ति की थी तब भी कुछ प्रशासनिक पदों का फेरबदल किया गया था. ऐसे में एकबार फिर से प्रभारी कुलपति प्रो. के. के. सिंह विश्वविद्यालय में प्रशासनिक पदों पर बैठे कर्मियों को इधर से उधर फेरबदल कर रहे हैं. लगातर हो रहे बदलाव से विश्वविद्यालय की छवि व विद्यार्थियों शोधार्थियों को नुकसान हो रहा है। विश्वविद्यालय के अनेक ऐसे पद है जो पिछले 6 से 8 माह में लगभग 2 से 3 बार बदल चुके है।
एक प्रभारी कुलपति के द्वारा लगातार विश्वविद्यालय में नियमविरुद्ध कार्य किए जा रहे है जबकि यह सब शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी देखते हुए भी खामोश है. शिक्षा मंत्रालय की खामोशी विश्वविद्यालय में कार्यरत कर्मचारियों व विद्यार्थियों के लिए बहुत ही कष्टदायी साबित हो रही है. इस तरह से विश्वविद्यालय में हो रही अनियमितताओं के विरुद्ध शिक्षा मंत्रालय को जांच कर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिये ताकि भारतीय संविधान के प्रति लोगों निष्ठा बनी रहे।